घर-घर जाकर लिपस्टिक बेचा करते थे Arshad Warsi, जया बच्चन

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घर-घर जाकर लिपस्टिक बेचा करते थे Arshad Warsi, जया बच्चन

अरशद वारसी (Arshad Warsi) एक बेहतरीन एक्टर हैं और उनकी कॉमिक टाइमिंग, उनके टैलेंट को और भी ज्यादा बढ़ा देती है. उन्होंने अपने हर किरदार से लोगों को मन

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अरशद वारसी (Arshad Warsi) एक बेहतरीन एक्टर हैं और उनकी कॉमिक टाइमिंग, उनके टैलेंट को और भी ज्यादा बढ़ा देती है. उन्होंने अपने हर किरदार से लोगों को मनोरंजन किया है. आज यानी 19 अप्रैल को अरशद अपना जन्मदिन मनाते हैं.

अरशद वारसी (Arshad Warsi) का जन्म साल 1968 को महाराष्ट्र के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. अरशद के ऊपर से पिता का साया बचपन में ही छिन गया था. लिहाजा उन्हें परिवार के गुजर-बसर के लिए शुरुआत से ही मेहनत करनी पड़ी थी. वे घर-घर जाकर कॉस्मेटिक सामान बेचा करते थे. इसके बाद उन्होंने फोटो लैब में भी काम किया और फिर कुछ समय बाद उन्होंने अकबर सामी का डांसिंग ग्रुप ज्वाइन कर लिया था.

साल 1993 में उनको ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ का टाइटल ट्रैक कोरियोग्राफ करने का मौका मिला था. इसके बाद उन्होंने साल 1987 में ‘ठिकाना’ और ‘काश’ जैसी फिल्मों के लिए महेश भट्ट के साथ बतौर असिस्टेंट भी काम किया था. मुख्य अभिनेता के तौर पर अरशद वारसी (Arshad Warsi) ने अपने करियर की शुरुआत साल 1996 में फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ से की थी. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी. लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि इस फिल्म का ऑफर अरशद वारसी (Arshad Warsi) को जया बच्चन ने दिया था.

इसके बाद अरशद वारसी (Arshad Warsi) ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें असली पहचान साल 2003 में आई फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ और साल 2006 में आई ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ से मिली थी. इन दोनों फिल्मों में अरशद वारसी ने सर्किट का किरदार कर हर किसी के दिल को जीत लिया था. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला. इसके बाद साल 2013 में आई फिल्म ‘जॉली एलएलबी’ से भी अरशद वारसी ने खूब तारीफें बटोरी थीं.