निर्देशक और लेखक की जोड़ी के रूप में आनंद एल राय और हिमांशु शर्मा रांझणा और तनु वेड्स मनु जैसी छोटे शहर-क़स्बों की गुदगुदाने वाली प्रेम कहानियां दे चु
निर्देशक और लेखक की जोड़ी के रूप में आनंद एल राय और हिमांशु शर्मा रांझणा और तनु वेड्स मनु जैसी छोटे शहर-क़स्बों की गुदगुदाने वाली प्रेम कहानियां दे चुके हैं। मगर, निर्माता के तौर पर ये दोनों पहली बार मर्डर मिस्ट्री लेकर आये हैं। हसीन दिलरूबा की कथा, पटकथा और संवाद कनिका ढिल्लों ने लिखे हैं। आनंद, हिमांशु और कनिका ने मिलकर एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री तैयार की है, जो छोटे शहर और मिडिल क्लास फैमिली में सेट की गयी है।
हालांकि, जितनी गहराई से इनकी कस्बाई प्रेम कहानियां दिल में उतरती रही हैं, यह दिलरूबा उतनी शिद्दत से रिझा नहीं पाती। जैसा कि तापसी का किरदार फ़िल्म में बार-बार कहता है- कुछ अच्छा, कुछ बुरा। बस समझ लीजिए, यह ‘हसीन दिलरूबा’ भी कुछ वैसी ही है- कुछ अच्छी, कुछ बुरी।
नेटफ्लिक्स पर शुक्रवार को रिलीज़ हुई हसीन दिलरूबा में तापसी पन्नू, विक्रांत में तापसी और हर्षवर्धन राणे ने मुख्य किरदार निभाये हैं। फ़िल्म का निर्देशन विनिल मैथ्यू ने किया है। विनिल इससे पहले धर्मा प्रोडक्शंस की फ़िल्म हंसी तो फंसी का निर्देशन कर चुके हैं।
हसीन दिलरूबा की कहानी कुछ इस मिज़ाज की है कि किसी भी पृष्ठभूमि में सेट की जा सकती थी। विवाहेत्तर संबंध, दीवानगी और क़त्ल। कहानी के ये सिरे किसी ख़ास समाज या शहर के मोहताज नहीं हैं। यह कहीं भी हो सकता है, मगर शायद यह आनंद और हिमांशु का हार्टलैंड के लिए लगाव ही है कि कहानी को ज्वालापुर नाम के छोटे शहर में ले जाया गया।
हसीन दिलरूबा की शुरुआत दिलचस्प है। आरम्भ के कुछ मिनटों में लगता है कि दम साधकर देखने वाली एक बेहतरीन मर्डर मिस्ट्री आगे आने वाली है। मगर, जैसे-जैसे फ़िल्म आगे बढ़ती है, दिलरूबा की पकड़ कमज़ोर होने लगती है।
फ़िल्म की शुरुआत एक घर में सिलेंडर ब्लास्ट से होती है, जिसमें रानी कश्यप (तापसी पन्नू)के पति रिशु यानी ऋषभ सक्सेना (विक्रांत मैसी) की मौत हो जाती है। मलबे में एक कटा हुआ हाथ मिलता है, जिस पर रानी नाम का टैटू लिखा हुआ है, जो यह पुष्टि करता है कि हादसे में मरने वाला रानी का पति था।