अमिताभ बच्चन को ‘सर जी’ न कहने से नहीं टूटी थी कादर खान से दोस्ती, ‘राजनीति’ थी वजह

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अमिताभ बच्चन को ‘सर जी’ न कहने से नहीं टूटी थी कादर खान से दोस्ती, ‘राजनीति’ थी वजह

हिंदी सिनेमा के मशहूर कलाकार कादर खान एक अच्छे हास्य कलाकार और खलनायक तो रहे ही साथ ही संवाद लेखक के तौर पर भी उन्होंने तमाम सुपरहिट फिल्में दीं। उन्ह

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हिंदी सिनेमा के मशहूर कलाकार कादर खान एक अच्छे हास्य कलाकार और खलनायक तो रहे ही साथ ही संवाद लेखक के तौर पर भी उन्होंने तमाम सुपरहिट फिल्में दीं। उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए कई फिल्मों में डायलॉग लिखे। एक तरीके से कहा जाए तो अमिताभ को इस मुकाम तक पहुंचाने में कादर खान का भी हाथ रहा। कादर खान ने अमिताभ की सुपरहिट फिल्मों अमर अकबर एंथनी, शराबी, लावारिस, अग्निपथ आदि की स्क्रिप्ट भी लिखी। दोनों काफी अच्छे दोस्त हुआ करते थे हालांकि बाद में उनके रिश्ते खराब होते चले गए। एक बार फिर कादर खान का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कादर खान अपने बॉलीवुड स्ट्रगल के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं।

 

इसमें उन्होंने ये भी बताया कि कैसे अमिताभ बच्चन से उनके रिश्ते खराब हुए और कई फिल्मों से हाथ धोना पड़ा था। साथ ही कादर खान ने बताया था कि राजनीति में जाने के बाद अमिताभ पूरी तरह बदल गए थे। अमिताभ पर सत्ता का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने कादर खान को बुरा भला भी कह दिया था।

वीडियो में कादर खान कह रहे हैं, ‘मैं अमिताभ बच्चन को अमित कहकर बुलाता था। तभी किसी प्रोड्यूसर ने मुझसे आकर कहा कि आप सर जी को मिले? मैंने कहा कि कौन सर जी? इस पर वह बोला आप नहीं जानते? उसने अमिताभ की ओर इशारा कर कहा कि वह हमारे सर जी हैं। मैंने कहा कि वह तो अमित है। सभी ने तब से अमिताभ को सर जी, सर जी बोलना शुरू कर दिया, लेकिन मेरे मुंह से उनके लिए कभी अमित जी या सर जी नहीं निकला। बस यही न बोल पाने की वजह से मैं उनके ग्रुप से निकल गया।’

उन्होंने आगे कहा, ‘क्या कोई अपने दोस्त या भाई को किसी और नाम से पुकार सकता है? नामुमकिन बात है ये। मैं नहीं कर सका ये और इसीलिए मेरा उनसे वो राब्ता नहीं रहा। यही वजह है कि मैं उनकी फिल्म ‘खुदा गवाह’ में नहीं रहा। फिर उनकी फिल्म ‘गंगा जमुना सरस्वती’ मैंने आधी लिखी और छोड़ दी। इसके बाद कुछ और फिल्में थीं, जिनपर मैंने काम करना शुरू किया था, लेकिन वे भी छोड़ दीं।

अमिताभ बच्चन अपने दोस्त राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे। 1984 के लोकसभा चुनाव में अमिताभ इलाहाबाद संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे और जीते भी।’ कादर खान ने बताया था कि सांसद बनने के बाद अमिताभ बच्चन का बर्ताव बिल्कुल अलग हो गया था। उन्होंने कहा, ‘अमिताभ के साथ मेरा एक रिश्ता था। वो एमपी बनने गया तो मैं खुश नहीं था क्योंकि सियासत की दुनिया ऐसी है जो इंसान को बदल देती है। जब वो सांसद बनकर आया तो वो मेरा अमिताभ बच्चन नहीं था।’

कादर खान का अंतिम समय काफी मुश्किलों भरा रहा। साल 2015 में उनके घुटनों का ऑपरेशन हुआ जिसके बाद उन्हें चलने फिरने में परेशानी होने लगी और वो केवल व्हील चेयर पर ही रहने लगे। जानकारी के मुताबिक उन्हें मेमोरी लॉस की परेशानी भी हो गई थी जिसके चलते उन्हें कुछ याद नहीं रहता था। 31 दिसंबर 2018 को कनाडा में कादर खान ने अंतिम सांस ली। वहीं उनका अंतिम संस्कार भी किया गया।