Indian Idol 12 : जिंदगी के पहले ऑडिशन की राजेश खन्ना ने करवाई थी रिहर्सल, फिर भी नहीं बना जितेंद्र का काम

HomeTelevision

Indian Idol 12 : जिंदगी के पहले ऑडिशन की राजेश खन्ना ने करवाई थी रिहर्सल, फिर भी नहीं बना जितेंद्र का काम

इंडियन आइडल के सीजन 12 (Indian Idol 12) के मंच पर जितेंद्र (Jeetendra) ने अपने उन दिनों को याद किया, जब वह पहली बार ऑडिशन देने गए थे और इसमें उनकी मदद

दादी की वजह से कार्तिक संग रात गुजारने को मजबूर होगी सीरत!! रणवीर की उड़ेगी नींद
Anupamaa के आगे पस्त हुए बाकी शोज, लगातार गिर रही है Imlie की रेटिंग्स
Bigg Boss 13 winner : सिद्धार्थ शुक्ला के जीतते ही भड़के ये सितारे

इंडियन आइडल के सीजन 12 (Indian Idol 12) के मंच पर जितेंद्र (Jeetendra) ने अपने उन दिनों को याद किया, जब वह पहली बार ऑडिशन देने गए थे और इसमें उनकी मदद राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) ने की थी. इससे पहले उन्होंने बताया कि कैसे वह फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बने और कैसे उनका फिल्मी करियर शुरू हुआ. जितेंद्र ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. स्कूल में रट्टा मारकर वह पास हो जाते थे. इसके बाद वह कॉलेज गए, लेकिन वहां पर यह टेक्नीक काम नहीं आईं. पढ़ाई नहीं की तो उसके बाद वह अपने पिता की आर्टिफिशल ज्वेलरी की दुकान पर काम करने लगे.

जितेंद्र ने बताया कि उनकी दुकान से फिल्मों के लिए ज्वेलरी जाया करती थी. जितेंद्र वह डिब्बे लेकर सेट्स पर जाते थे. इस तरह से उनका फिल्म लाइन से कॉन्टैक्ट हुआ. इस बीच उन्हें नवरंग के लिए एक रोल मिला. उन्हें प्रिंस का रोल मिला. वह रोल ऐसे मिला कि जितेंद्र शूटिंग देखना चाहते थे. पर बाहर खड़े एक व्यक्ति ने उनसे कहा कि आप ऐसे अंदर नहीं जा सकते. उस व्यक्ति ने कहा कि आपको प्रिंस का रोल करना होगा. जितेंद्र इसके लिए तैयार हो गए. उन्हें प्रिंस का कॉस्ट्यूम दिया गया. जितेंद्र अंदर गए तो उन्होंने देखा कि वहां तो कई सारे प्रिंस लाइन में बैठे थे.

इसके बाद जाने माने फिल्मकार वी शांताराम ने एक बार जितेंद्र को स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया. शो पर इस किस्से को सुनाते हुए जितेंद्र ने कहा कि मैं और राजेश खन्ना एक साथ ही पढ़ते थे. मैंने राजेश खन्ना को स्क्रीन टेस्ट वाली बात बताई. उस समय राजेश थिएटर करते थे. राजेश खन्ना ने केसी कॉलेज की कैंटीन में मुझे रिहर्सल करवाई. मैं अगले दिन स्क्रीन टेस्ट के लिए गया, एकदम तैयार होकर. वहां पहुंचा तो शांताराम ने अपना डायलॉग दे दिया. जो डायलॉग उन्होंने दिया, वह मैं बोल नहीं सका. खैर, किस्मत में जो लिखा है वही होता है और देख लीजिए आज मैं कहां हूं.