अमरीश पुरी: वो विलेन जिसने 40 की उम्र में भी डेब्यू करने के बाद सभी के छक्के छुड़ा दिए

HomeCinema

अमरीश पुरी: वो विलेन जिसने 40 की उम्र में भी डेब्यू करने के बाद सभी के छक्के छुड़ा दिए

हिंदी सिनेमा में वैसे तो कई विलेन हुए जिन्हें इतिहास में याद रखा जाएगा। लेकिन एक विलेन ऐसा था जिसने 40 साल की उम्र में सिनेमा में एंट्री मारी और बड़े-

कैंसर को मात देने के बाद संजय दत्त की पहली फोटो आईं सामने
सुशांत सिंह राजपूत को गुजरे एक हफ्ता हो चुका है, परिवार ने रखी शोक सभा | Sushant Singh Rajput dying 1 week, household organises prayer meet
शाहिद कपूर की वजह से उनके जिम को BMC ने किया सील

हिंदी सिनेमा में वैसे तो कई विलेन हुए जिन्हें इतिहास में याद रखा जाएगा। लेकिन एक विलेन ऐसा था जिसने 40 साल की उम्र में सिनेमा में एंट्री मारी और बड़े-बड़े हीरो के छक्के छुड़ा दिए। ये विलेन कोई और नहीं बल्कि अमरीश पुरी थे।उन्होंने अपनी आवाज से एक अलग पहचान बनाई. पर्दे पर उनकी एक्टिंग देख दर्शक भी डर जाते थे।

22 जून 1932 को जन्मे अमरीश पुरी (Amrish Puri) ने 1971 में रेश्मा और शेरा से अपने फ़िल्मी जीवन की शुरुआत की थी लेकिन अभिनेता के रूप में उन्हें पहचान मिली निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फिल्मों से। अमरीश पुरी नकारात्मक भूमिकाओं को वो इस ढंग से निभाते थे कि एक वक्त ऐसा आया जब हिंदी फिल्मों में ‘बुरे आदमी’ के रूप में लोग उन्हें पहचानने लगे। उनका सबसे यादगार रोल था मिस्टर इंडिया में मोगैंबो का। जिसका डायलॉग आज भी फेमस है। उन्होंने ज्यादातर विलेन की भूमिकाएं ही निभाईं।

हिंदी सिनेमा के इतिहास में मोगैंबो को उनका सबसे लोकप्रिय किरदार माना जाता है। अमरीश पुरी की हिंदी सिनेमा में मांग इतनी थी कि एक समय ऐसा आया जब वह हिंदी फिल्मों के सबसे महंगे विलेन बन गए। कहा जाता है कि एक फिल्म के लिए वह एक करोड़ रुपये तक फीस ले लेते थे। लेकिन जहां मामला जान पहचान का होता था वहां अपनी फीस कम करने में भी उन्हें कोई गुरेज नहीं था।

अमरीश पुरी असल जीवन में बहुत ही अनुशासन वाले व्यक्ति थे। उन्हें हर काम सही तरीके से करना पसंद था। चाहे फिल्में हो या निजी जीवन का कोई भी काम। क्या आप जानते हैं अपने बड़े भाई के कहने पर ही अमरीश मुंबई आए थे लेकिन पहले ऑडिशन में एक्टर को रिजेक्ट कर दिया गया। अमरीश पुरी ऐसे एक्टर में गिने जाते हैं जिनका कभी किसी भी एक्ट्रेस के साथ कोई अफेयर नहीं रहा। मुंबई में शुरुआती दिनों में वे बैंक में नौकरी करते थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात उर्मिला दिवेकर से हुई जो बाद में जाकर उनकी पत्नी बनीं।

अमरीश पुरी ने अपनी फीस को लेकर कहा था- जब मैं अपने अभिनय से समझौता नहीं करता तो मुझे फीस कम क्यों लेनी चाहिए। निर्माता को अपने वितरकों से पैसा मिल रहा है क्योंकि मैं फिल्म में हूं। लोग मुझे एक्टिंग करते हुए देखने के लिए थियेटर में आते हैं। फिर क्या मैं ज्यादा फीस का हकदार नहीं हूं?

1971 में निर्देशक सुखदेव ने जब उन्हें रेश्मा और शेरा के लिए साइन किया, तो अमरीश पुरी उस समय 40 वर्ष के हो चुके थे। 1980 में आई हम पांच ने उन्हें कमर्शियल फिल्मों में भी स्थापित कर दिया। इस फिल्म में उनका दुर्योधन का किरदार काफी चर्चित रहा। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज भी अमरीश पुरी की फिल्मों का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता है। फिल्मों में अमरीश पुरी को कई बार शराब और नशे में डूबा हुआ दिखाया गया लेकिन असल जिंदगी में वह शराब से बिलकुल दूर रहते थे।