बॉलीवुड में ऐसी कई अभिनेत्रियां हुई हैं, जिन्होंने अपनी खूबसूरती और अभिनय के दम पर फिल्मों की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। आज हम जिस अभिनेत्री के बारे
बॉलीवुड में ऐसी कई अभिनेत्रियां हुई हैं, जिन्होंने अपनी खूबसूरती और अभिनय के दम पर फिल्मों की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। आज हम जिस अभिनेत्री के बारे में बात कर रहे हैं उन्होंने काफी कम उम्र में ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था और एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया। आज हम बात कर रहे हैं अभिनेत्री नंदा के बारे में। जिनकी खूबसूरती के चर्चे तो मशहूर थे ही साथ ही वो बहन के किरदार के लिए जानी जाती थीं।
एक्ट्रेस नंदा का जन्म 8 जनवरी 1939 को हुआ था। नंदा के पिता विनायक दामोदर कर्नाटकी मराठी फिल्मों के सफल अभिनेता और निर्देशक थे। नंदा अपने दौर की बेहद खूबसूरत और लाजवाब अदाकारा थीं। उन्होंने महज पांच साल की उम्र से ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। एक दिन नंदा स्कूल से लौटीं तो उनके पिता ने उनसे कहा कि कल तैयार रहना फिल्म के लिए तुम्हारी शूटिंग है। इसके लिए तुम्हारे बाल काटने होंगे। नंदा बोलीं कि मुझे कोई शूटिंग नहीं करनी।
लेकिन बाद में मां के समझाने पर नंदा राजी हो गई। शूटिंग के लिए नंदा के बाल लड़कों की तरह छोटे-छोटे काट दिए गए। इस फिल्म का नाम था ‘मंदिर’। फिल्म के निर्देशक नंदा के पिता ही थे लेकिन दुर्भाग्यवश फिल्म पूरी होने से पहले नंदा के पिता का निधन हो गया। घर की पूरी जिम्मेदारी नंदा के कंधों पर आ गई। मजबूरी में उन्होंने फिल्मों में अभिनय करने का फैसला लिया। चेहरे की सादगी और मासूमियत को उन्होंने अपने अभिनय की ताकत बनाई। वो रेडियो और स्टेज पर भी काम करने लगीं।
सिर्फ दस साल की उम्र में नंदा मराठी सिनेमा की अच्छी हीरोइन बन गईं। दिनकर पाटिल की निर्देशित फिल्म ‘कुलदेवता’ के लिए नंदा को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष पुरस्कार से नवाजा था। नंदा ने ना सिर्फ मराठी फिल्मों बल्कि गुजराती फिल्मों में भी काम किया। उन्होंने करीब आठ गुजराती फिल्मों में काम किया और फिर 1957 में अपने चाचा वी शांता राम की हिंदी फिल्म ‘तूफान और दिया’ में काम किया था। 1959 में नंदा ने फिल्म ‘छोटी बहन’ में राजेंद्र कुमार की अंधी बहन का किरदार निभाया था। उनका अभिनय दर्शकों को बहुत पसंद आया। नंदा ने फिल्म ‘जब-जब फूल खिले’, ‘गुमनाम’ और ‘प्रेम रोग’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया है।