प्राण को ‘छंटा हुआ बदमाश’ समझते थे लोग, आखिरी समय में हुई थी ऐसी हालत

HomeCinema

प्राण को ‘छंटा हुआ बदमाश’ समझते थे लोग, आखिरी समय में हुई थी ऐसी हालत

हिंदी सिनेमा में अपनी अदाकारी से 'जान' फूंक देने वाले अभिनेता प्राण (Pran) की आज यानी 12 जुलाई को पुण्यतिथि है। 1940 से लेकर 1990 तक सिनेमा जगत में खल

समलैंगि‍क रिश्ते पर एकता कपूर की सीरीज, रिलीज से पहले लगा पोस्टर चोरी का आरोप
शिल्पा शेट्टी के बचाव में उतरे कई सेलिब्रिटी, कहा- मर्दों की गलती पर औरत को सजा क्यों ?
पत्नी ऐश्वर्या राय को अभिषेक बच्चन ने इस अंदाज में दी जन्मदिन की बधाई, सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर

हिंदी सिनेमा में अपनी अदाकारी से ‘जान’ फूंक देने वाले अभिनेता प्राण (Pran) की आज यानी 12 जुलाई को पुण्यतिथि है। 1940 से लेकर 1990 तक सिनेमा जगत में खलनायकी का दूसरा नाम रहे प्राण कृष्ण सिकंदर यानी कि प्राण अपने दमदार अभिनय के लिए आज भी याद किए जाते हैं। उस दौर में कई सुपरस्टार आए और चले गए लेकिन विलेन के तौर पर प्राण फिल्मकारों की पहली पसंद बने रहे। उनके किरदारों का ऐसा खौफ था कि कि लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना भी छोड़ दिया था। फिल्म के आखिरी में सभी कलाकारों के नामों के बाद ‘एंड प्राण’ लिखा हुआ आता था जो फिल्म में उनकी दमदार मौजूदगी और दर्शकों के क्रेज को बताता था। प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद सिविल इंजीनियर थे। प्राण के तीन भाई और तीन बहनें थीं। जवानी के दिनों में फोटोग्राफी का शौक रखने वाले प्राण ने बंटवारे से पहले कुछ पंजाबी और हिंदी फिल्मों में बतौर लीड एक्टर काम किया।

 

प्राण ने लाहौर में 1942 से 46 तक यानी चार सालों में 22 फिल्मों में काम किया। इसके बाद विभाजन हुआ और वो भारत आ गए और फिर यहां उन्हें फिल्मों में बतौर विलेन पहचान मिली। प्राण पहले लाहौर में एक्टिंग किया करते थे जिसके बाद वह मुंबई आ गए। मशहूर उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो और अभिनेता श्याम की वजह से उन्हें देव आनंद अभिनीत और बॉम्बे टॉकीज निर्मित फिल्म ‘जिद्दी’ मिली।

 

इस फिल्म के लीड रोल में देवआनंद और कामिनी कौशल थे। ‘जिद्दी’ के बाद इस दशक की सभी फिल्मों में प्राण खलनायक के रोल में नजर आए। 1955 में दिलीप कुमार के साथ ‘आजाद’, ‘मधुमती’, ‘देवदास’, ‘दिल दिया दर्द लिया’, ‘राम और श्याम’ और ‘आदमी’ नामक फिल्मों के किरदार महत्वपूर्ण रहे तो देव आनंद के साथ ‘मुनीमजी’ (1955), ‘अमरदीप’ (1958) जैसी फिल्में पसंद की गई।

कहा जाता है कि फिल्म ‘जंजीर’ के किरदार विजय के लिए प्राण ने निर्देशक प्रकाश मेहरा को अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया था। इस फिल्म ने अमिताभ का करियर पलट कर रख दिया था। इस किरदार को पहले देव आनंद और धर्मेन्द्र ने नकार दिया था। प्राण ने अमिताभ की दोस्ती के चलते इसमें शेरखान का किरदार भी निभाया। इसके बाद अमिताभ बच्चन के साथ ‘ज़ंजीर’, ‘डान’, ‘अमर अकबर अन्थोनी’, ‘मजबूर’, ‘दोस्ताना’, ‘नसीब’, ‘कालिया’ और ‘शराबी’ जैसी फिल्में महत्वपूर्ण हैं।

प्राण को तीन बार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मिला। 1997 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट खिताब से नवाजा गया।  प्राण को हिन्दी सिनेमा में उनके योगदान के लिए 2001 में भारत सरकार के पद्म भूषण मिला, साथ ही उन्हें साल दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। प्राण ने तकरीबन 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। कापते पैरों की वजह से वह 1997 से व्हीएल चेयर पर जीवन गुजार रहे थे।

प्राण अपने कैरेक्टर में इतने ढल चुके थे कि रियल लाइफ में भी लोग उन्हें उसी तरह का समझते थे। एक बार प्राण दिल्ली में अपने दोस्त के घर चाय पीने गए। उस वक्त उनके दोस्त की छोटी बहन कॉलेज से वापस आई तो दोस्त ने उसे प्राण से मिलवाया। इसके बाद जब प्राण होटल लौटे तो दोस्त ने उन्हें पलटकर फोन किया और कहा कि उसकी बहन कह रही थी कि ऐसे बदमाश और गुंडे आदमी को घर लेकर क्यों आते हो? बता दें कि प्राण अपने किरदार को इतनी खूबी से निभाते थे कि लोग उन्हें असल में भी बुरा ही समझते थे। प्राण कहते थे कि उन्हें हीरो बनकर पेड़ के पीछे हीरोइन के साथ झूमना अच्छा नहीं लगता।